Thursday, February 7, 2013

"आज फिर तू याद आया, आज फिर तेरा नाम लिया हमने,

आज फिर तसवुर में तू आया, आज फिर तुझसे गुफ्तगू की मैंने,

मगर ऐसे याद आना और फिर चले जाना तेरा कब तक चलेगा,

अब तो आजा के यह शामें मेरी रोशनी को तरसते हैं तेरी,

कभी भ्रम में ही मेरे इस भ्रम को तोड़ने के लिए आजा तू एक बार,

के आज भी तेरे याद में अक्सर तारों से बातें किया करते हैं हम आज भी,

कभी तो आजा एक बार तू लौट के मेरे जीवन में, के शाख पे फूल आज भी खिलने को तरसते है

मेरे.............."

©  सुनील कुमार !!!!! 08-02-2013.

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