Tuesday, July 16, 2013

पिता को समर्पित



"दिए तुमने मुझको प्राण,
जग में हमेशा बढ़ना सिखाया,

मेहनत करता लड़ना सिखाया,
मेरे दु:ख में,

मेरे सु:ख में,
खडे़ हमेशा साथ में तुम,

जब भी टूटा मैं हिम्मत से अपनी,
तुमने हमेशा हिम्मत बढ़ाई,

खुद को तुमने दिए कष्ट,
पर मुझको आंच न आने दी,

मेरी सफलता में हमेशा मुझको आगे बढ़ाया,
मेरी असफलता में दी प्रेरणा पल पल तुमने,

मेरे पिता ने हमेशा मुझको पल पल अपने साथ चलाया..."
© सुनील कुमार सलैडा 16/062013

दिल की भावनाएं



"आज तड़पता है दिल जाने क्यूं,
इक बेचैनी का सबब इस मन में है,

है घुटन मेरी सांसों में आज,
धड़कन भी कुछ रूकी रूकी सी है,

जाने कब थमेगा सिलसिला मेरी बेचैनियों का,
के अब उजालों से डरता हूं मैं,

अंधेरे ही अब मनमीत हैं मेरे,
कोई तो लोटा दो मेरे उजालों को कहीं से,

के डूब जाता हूं मैं अब अपने ही खोल में,
कोई तो दिखा दो राह मुझे मेरी मंजिल की,

के भटक रहा हूं मैं आज अपने मन की गहराईयों में कहीं,
कोई तो लौटा दो वर्तमान की सच्चाईयों में आज मुझे..."

शुभ रात्रि मित्रो
© सुनील कुमार सलैडा 15/06/2013

आहत आकांक्षायें



"टूटी है उम्मीद मेरी,
टूटे हैं सब ख्वाब मेरे,

बिखरे हैं जज्बात मेरे,
बिखरीं हैं सब आस मेरी,

तोड़ा है तूने आज,
कभी जोड़ा था बड़े चाव से इक दिन तूने,

के हिल गयी है हस्ती मेरी,
हिलता है अब ज़रा ज़रा मेरा,

जाने कब थमेगा तूफ़ान यह जो आया है,
क्या ले जाएगा उख़ाड कर सब पेड़ आज यह,
या छोड़ देगा सूखे पत्तों की चरमराहट को,

जाउं सब अब किस आेर  यह न समझ आए,
चला जाउं सपाट मैदानों की आेर आज,
या कूद जाउं तूफानों की मोजों के साथ,

कशमकश में है जिंदगी मेरी,
के मिलेगी कोई राह-ए-मंजिल मुझे,
या भटकता यूं रहेगा सफर ये मेरा दर-ब-दर..."

शुभ रात्रि मित्रो
जय माता दी
© सुनील कुमार सलैडा 15/06/2013


"तेरी बेरूखी मेरी बेबसी को बढ़ा देती है,
तेरी आशिकी मेरी उम्मीद जगा देती है,
तेरा यूं रूठ कर चले जाना बेचैनी मेरी बढ़ा जाता है,
तेरे जैसा कोई आेर नहीं मेरी जिंदगी में,
के मत जाना तू चले बिन कहे मुझको कभी,
के मेरी सांस भी रूक जाती है तेरा मुख यूं मोड़ लेने से,
यह माना मैं पागल हूं,
दिवाना हूं तेरा,
पर तेरे जज्बात में मेरी रूह को उतर जाने दे,
के गर मैं जो चला गया तो मुमकिन न होगा लौट आना मेरा,
के यही शिददत है मेरी तूझे चाहने मैं आैर तूझे छोड़ जाने मैं,,,"
जय माता दी मित्रो
© सुनील कुमार सलैडा 13-06-2013


"कुछ खामोशी के पल तेरे साथ जो गुज़रे,
कुछ यादों के ग़म तेरे साथ में उबरे,
अक्सर इस तरह चले जाना फितरत है तेरी,
यह मजबूरी है तेरी वादा वो निभाने में है..."
© सुनील कुमार सलैडा 12-06-2013.