Tuesday, July 16, 2013



"तेरी बेरूखी मेरी बेबसी को बढ़ा देती है,
तेरी आशिकी मेरी उम्मीद जगा देती है,
तेरा यूं रूठ कर चले जाना बेचैनी मेरी बढ़ा जाता है,
तेरे जैसा कोई आेर नहीं मेरी जिंदगी में,
के मत जाना तू चले बिन कहे मुझको कभी,
के मेरी सांस भी रूक जाती है तेरा मुख यूं मोड़ लेने से,
यह माना मैं पागल हूं,
दिवाना हूं तेरा,
पर तेरे जज्बात में मेरी रूह को उतर जाने दे,
के गर मैं जो चला गया तो मुमकिन न होगा लौट आना मेरा,
के यही शिददत है मेरी तूझे चाहने मैं आैर तूझे छोड़ जाने मैं,,,"
जय माता दी मित्रो
© सुनील कुमार सलैडा 13-06-2013

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