"टूटी है उम्मीद मेरी,
टूटे हैं सब
ख्वाब मेरे,
बिखरे हैं जज्बात
मेरे,
बिखरीं हैं सब आस
मेरी,
तोड़ा है तूने आज,
कभी जोड़ा था
बड़े चाव से इक दिन तूने,
के हिल गयी है
हस्ती मेरी,
हिलता है अब ज़रा
ज़रा मेरा,
जाने कब थमेगा
तूफ़ान यह जो आया है,
क्या ले जाएगा
उख़ाड कर सब पेड़ आज यह,
या छोड़ देगा
सूखे पत्तों की चरमराहट को,
जाउं सब अब किस
आेर यह न समझ आए,
चला जाउं सपाट
मैदानों की आेर आज,
या कूद जाउं
तूफानों की मोजों के साथ,
कशमकश में है
जिंदगी मेरी,
के मिलेगी कोई
राह-ए-मंजिल मुझे,
या भटकता यूं
रहेगा सफर ये मेरा दर-ब-दर..."
शुभ रात्रि
मित्रो
जय माता दी
© सुनील कुमार सलैडा 15/06/2013
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