Tuesday, July 16, 2013

दिल की भावनाएं



"आज तड़पता है दिल जाने क्यूं,
इक बेचैनी का सबब इस मन में है,

है घुटन मेरी सांसों में आज,
धड़कन भी कुछ रूकी रूकी सी है,

जाने कब थमेगा सिलसिला मेरी बेचैनियों का,
के अब उजालों से डरता हूं मैं,

अंधेरे ही अब मनमीत हैं मेरे,
कोई तो लोटा दो मेरे उजालों को कहीं से,

के डूब जाता हूं मैं अब अपने ही खोल में,
कोई तो दिखा दो राह मुझे मेरी मंजिल की,

के भटक रहा हूं मैं आज अपने मन की गहराईयों में कहीं,
कोई तो लौटा दो वर्तमान की सच्चाईयों में आज मुझे..."

शुभ रात्रि मित्रो
© सुनील कुमार सलैडा 15/06/2013

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर पंत्तियां और भाव अभिव्यक्ति .....
    setting में जाकर के word verification या हिन्दी में शब्द सत्यापन को yes की जगह no करें । शब्द सत्यापन लागु होने से पाठकों तो comment करने में दिक्कत होती है ।

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