"तेरी पलकों का सपना बनना मैं चाहता हूं,
तेरे होटों का
गीत बनना में चाहता हूं,
तेरे जुल्फ के
अंधेरे में गुम होना चाहता हूं,
बाद मुददत आज
मिली है तू बड़ी फुरसत से,
के तेरी आंखों का
काजल बनना मैं चाहता हूं,
के तेरी अंगड़ाई
में टूटना मैं चाहता हूं,
आज मिली है मुझे
तू छोड़ इस मतलबी संसार को,
के तेरी सांसों
का शोर सुनना मैं चाहता हूं,
इतनी तड़प हे मुझ
मैं तेरे मिलन की,
के आज तू मुझमें
आैर मैं तुझमें घुलना चाहता हूं,
के घुल जाती हैं
जैसे सांसें जिंदगी से,
के मिल जाती है
जैसे लहर इक दरिया से,
के इस तरह मैं
तुझमें समाना चाहता हूं,
समाती है जैसे
रूह कोई जिस्म से हो जेसे..."
© !!!!!!!!!!!! सुनील कुमार सलैडा (Sunil Kumar
Saliada) !!!!!!!!!!!!!! 07-05-2013.
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