Tuesday, July 16, 2013



"ज़ररे ज़ररे में तेरे अक्स को मैंने देखा है,
कतरे कतरे में दर्द तेरी याद का हरपल बना रहता है,

तू दूर है मुझसे यह पता है मुझको,
मगर तेरा एहसास मेरी धड़कन में हर पल बना रहता है,

टूटने जब लगता है हौसला मेरा,
हो जाता है जब विशवास मेरा लुप्त,

आ जाता है तब तू बन के इक उजली किरण की तरह,
जो मिटा देती है अंधकार मेरी सोच का हरपल,

अब इल्तज़ा तुझसे बस इतनी है मेरी एे दोस्त,
के रहना सदा यूं ही संग मेरे जीवनभर,

रहती हैं साथ यूं महक फूलों के संग,
रहती है यूं परछाई हर व्यकित के संग संग,

वरना अक्सर इस दुनिया में मतलब के पुजारी ही मिले,
इक तुझसे है उम्मीद हमें के न बदलेगा तू कभी,

वैसे तो इस दुनिया की हर छह बदल जाती है,
बदले हुए एहसास की तरह..."

© !!!!!!!!!!!! सुनील कुमार सलैडा (Sunil Kumar Saliada) !!!!!!!!!!!! 09-05-2013.

No comments:

Post a Comment