तेरी गोरी सूरत
पे फिदा यह दिल हुआ,
सुबह शाम तेरी
आशा में यह गुल हुआ,
टूटा मेरा भ्रम
यह इक दिन,
जब जाना तेरी
सिरत को हमने,
अरे जिसे हम
बाग्गो का फूल समझे थे,
वो तो गंदगी का
ढ़ेर निकला,
जब चोट लगी इस
दिल पर,
तब बात यह हमने
जानी यारो,
सूरत तो बदलती है
बदले मौसम की तरह,
साथ जो उमर भर
निभाए वो सिरत मिले तो जाने...."
© !!!!!!!!! सुनील कुमार सलैडा (Sunil Kumar
Saliada) !!!!!!!!!!!!! 01-04-2013
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