हिंदी प्रेमी मंच
Tuesday, July 16, 2013
"
तुम अपनी यादों में थोड़ी जगह देना मुझको
,
बिखरे मेरे सपनों को सजा देना तू
,
यह माना के मुककिन नहीं तेरा मुड़कर चले आना
,
पर कभी घर से निकलते रास्ते में घर को मेरे इक नज़र दे जाना तू..."
©
सुनील कुमार सलैडा
09-05-2013
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