Sunday, March 10, 2013

एक भाव

"तेरी याद सीने से जाती नहीं है,
यह अशक मेरे सूख़ते ही नहीं हैं,
भरने को तो हर जख़म भर जाता है,
पर तेरे दिए जख़म भरते ही नहीं,
या तो चला जा जिन्दगी से मेरी सदा के लिए,
यह बार बार आना तेरा सताता है मुझे,
मगर याद तू इतना रख़न,
के भूल पाएगा नहीं तू कभी मूझे भी,
याद आउंगा तुझे भी मैं,
मैं तो तेरी रूह में समाया हूं,
कहां तक जुदा कर पाएगा तू रूह को अपने जिस्म से...."

© !!!!!! सुनील कुमार !!!!!! 11-03-2013.

1 comment:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका श्रीराम जी पोत्साहन देने के लिए .... आशा है आपका प्यार आगे भी यूं ही बना रहेगा....

    ReplyDelete