Monday, May 26, 2014

"लम्हे संभाले हमसे जाते नहीं तू महीनों संभलने की बात न कर,
अफसाने हमसे बनाये नहीं जाते तू इस पर हमको मजबूर न कर,

बदला हमसे अब जाता नहीं तू बदलने की हमसे बात न कर,
मेरा रिश्ता है सच्चाई का तुझसे आज मुझको तू बदलने की बात न कर,

दूर है चला गया तू अब इतना मुझसे के पास रहकर भी परायापन से है अब,
फिर भी अगर तू चाहता है मैं बदल जाऊं तो माफ़ करने जानेमन मैंने प्यार किया है तुझसे कोई...ज़मीर की सौदेबाज़ी हम नहीं करते......"

कॉपीराइट सुनील कुमार सलैड़ा २२.५.१४

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